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GPS का धोखा खत्म: नया चुंबकीय नेविगेशन सिस्टम 50 गुना सटीक!

By: khabarme

On: रविवार, मई 4, 2025 10:29 अपराह्न

GPS fraud ends Ironstone Opal New magnetic navigation system is 50 times more accurate!
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ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने GPS से 50 गुना सटीक नेविगेशन सिस्टम बनाया, जो पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का इस्तेमाल करता है। जानें इसके फीचर्स, काम करने का तरीका के साथ पूरी डिटेल्स।

आजकल जीपीएस हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है। चाहे कार चलानी हो, फ्लाइट में नेविगेशन करना हो, या सेना के ऑपरेशंस हों, हर जगह जीपीएस का इस्तेमाल होता है। लेकिन क्या हो अगर जीपीएस गच्चा दे दे? सिग्नल न आए, या कोई इसे जाम कर दे? ऐसे में ड्राइवर, पायलट, या सैनिक मुश्किल में पड़ सकते हैं।

इस समस्या को हल करने के लिए ऑस्ट्रेलिया की एक कंपनी ‘क्वांटम कंट्रोल’ (Q-CTRL) ने कमाल का नेविगेशन सिस्टम बनाया है, जिसका नाम है आयरनस्टोन ओपल। ये सिस्टम जीपीएस से 50 गुना ज्यादा सटीक बताया जा रहा है और पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का इस्तेमाल करता है। आइए, इस नए सिस्टम को समझते हैं।

ये नया सिस्टम क्या है?

आयरनस्टोन ओपल’ एक क्वांटम नेविगेशन सिस्टम है, जो जीपीएस की तरह सैटेलाइट पर निर्भर नहीं है। ये पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र (मैग्नेटिक फील्ड) को पढ़कर आपकी लोकेशन बताता है। ऑस्ट्रेलिया की कंपनी Q-CTRL ने इसे बनाया है, और उनका दावा है कि ये जमीन पर 50 गुना और हवा में 11 गुना ज्यादा सटीक है, अगर इसे जीपीएस के बैकअप सिस्टम्स से तुलना करें। इस सिस्टम को लेकर कंपनी ने एक रिसर्च पेपर भी ‘आर्काइव प्री-प्रिंट सर्वर’ पर शेयर किया है।

ये सिस्टम काम कैसे करता है?


ये नया सिस्टम बहुत स्मार्ट तरीके से काम करता है। इसमें कुछ खास बातें हैं:

  • क्वांटम सेंसर: ये सुपर सेंसिटिव सेंसर पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र को स्कैन करते हैं। चुंबकीय क्षेत्र हर जगह थोड़ा अलग होता है, और ये सेंसर उस अंतर को पकड़ लेते हैं।
  • एआई सॉफ्टवेयर: सेंसर से मिली जानकारी को एआई सॉफ्टवेयर प्रोसेस करता है और आपको एक्स-वाई कोऑर्डिनेट्स (लोकेशन) देता है, बिल्कुल जीपीएस की तरह।
  • कोई सिग्नल नहीं: ये सिस्टम खुद कोई सिग्नल बाहर नहीं भेजता, यानी इसे जाम करना या ट्रैक करना नामुमकिन है।
  • शोर को हटाने की ताकत: अगर गाड़ी या ड्रोन में कोई शोर (नॉइज़) हो, तो ये सिस्टम उसे फिल्टर कर देता है, ताकि लोकेशन सटीक रहे।
  • छोटा और हल्का: इसका साइज़ इतना छोटा है कि इसे कार, ड्रोन, या प्लेन में आसानी से फिट किया जा सकता है।

GPS से कितना अलग है?

जीपीएस और ये नया सिस्टम बिल्कुल अलग-अलग तरीके से काम करते हैं। आइए, फर्क समझें:

  • जीपीएस: ये सैटेलाइट्स पर निर्भर है। पृथ्वी के ऑर्बिट में घूम रहे कम से कम चार सैटेलाइट्स से सिग्नल लेकर आपकी लोकेशन बताता है। सिग्नल के आने में लगने वाले समय से ये दूरी नापता है और फिर आपका अक्षांश (लैटिट्यूड), देशांतर (लॉन्गिट्यूड), और ऊंचाई बताता है। लेकिन अगर सिग्नल कमज़ोर हो या जाम हो जाए, तो जीपीएस फेल हो सकता है।
  • आयरनस्टोन ओपल: ये सैटेलाइट की बजाय पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र पर काम करता है। इसमें सिग्नल भेजने या लेने की जरूरत नहीं, इसलिए इसे जाम नहीं किया जा सकता। साथ ही, ये बैकअप सिस्टम्स से कहीं ज्यादा सटीक है।

इसकी खासियतें क्या हैं?

  • 50 गुना सटीक: जमीन पर ये किसी भी जीपीएस बैकअप सिस्टम से 50 गुना और हवा में 11 गुना ज्यादा सटीक है।
  • जाम-प्रूफ: चूंकि ये सिग्नल भेजता नहीं, इसे हैक या जाम करना मुश्किल है।
  • हर वाहन में फिट: इसका छोटा साइज़ इसे कार, ड्रोन, या प्लेन में लगाने के लिए परफेक्ट बनाता है।
  • शोर से बचाव: गाड़ी या ड्रोन का शोर इसकी सटीकता को प्रभावित नहीं करता।
  • सुरक्षित: खासकर सेना के लिए, क्योंकि इसे ट्रैक नहीं किया जा सकता।

ये सिस्टम क्यों जरूरी है?

जीपीएस ने हमारी जिंदगी को आसान तो बनाया, लेकिन इसकी कुछ कमियां भी हैं:

  • सिग्नल की दिक्कत: बादल, जंगल, या ऊंची इमारतें सिग्नल को ब्लॉक कर सकती हैं।
  • जाम होने का खतरा: दुश्मन या हैकर्स जीपीएस सिग्नल को जाम कर सकते हैं, खासकर सैन्य ऑपरेशंस में।
  • बैकअप का अभाव: अगर जीपीएस फेल हो जाए, तो कोई ठोस बैकअप नहीं है।

ऐसे में आयरनस्टोन ओपल जैसे सिस्टम गेम-चेंजर हो सकते हैं। ये ना सिर्फ सटीक है, बल्कि सुरक्षित और भरोसेमंद भी है। खासकर सेना, विमानन, और ड्रोन इंडस्ट्री के लिए ये बड़ा फायदेमंद हो सकता है।

FAQs:

1. आयरनस्टोन ओपल क्या है?

ये एक नया नेविगेशन सिस्टम है, जो पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का इस्तेमाल करके लोकेशन बताता है। ये जीपीएस से 50 गुना सटीक है और सैटेलाइट पर निर्भर नहीं है।

2. ये जीपीएस से कैसे अलग है?

जीपीएस सैटेलाइट सिग्नल्स पर काम करता है, जबकि आयरनस्टोन ओपल चुंबकीय क्षेत्र और क्वांटम सेंसर का इस्तेमाल करता है। ये सिग्नल भेजता नहीं, इसलिए इसे जाम नहीं किया जा सकता।

3. ये सिस्टम कितना सटीक है?

जमीन पर ये जीपीएस बैकअप सिस्टम्स से 50 गुना और हवा में 11 गुना ज्यादा सटीक है।

4. क्या इसे जाम किया जा सकता है?

नहीं, क्योंकि ये कोई सिग्नल भेजता नहीं। इसलिए इसे जाम या ट्रैक करना लगभग नामुमकिन है।

5. इसे किन-किन चीज़ों में इस्तेमाल किया जा सकता है?

इसे कार, ड्रोन, प्लेन, या किसी भी वाहन में लगाया जा सकता है, क्योंकि इसका साइज़ छोटा है।

6. ये सिस्टम कब उपलब्ध होगा?

फिलहाल ये रिसर्च स्टेज में है। Q-CTRL ने इसके बारे में रिसर्च पेपर शेयर किया है, लेकिन इसे मार्केट में आने में अभी समय लग सकता है।

7. क्या ये सिस्टम सस्ता होगा?

इसके दाम के बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है। ये रिसर्च फेज में है, और कीमत प्रोडक्शन और डिमांड पर निर्भर करेगी।

8. क्या ये सैन्य ऑपरेशंस के लिए सुरक्षित है?

हां, क्योंकि ये जाम-प्रूफ है और इसे ट्रैक नहीं किया जा सकता। ये सेना के लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है।

9. जीपीएस की जगह ये सिस्टम ले लेगा?

फिलहाल ये जीपीएस का बैकअप सिस्टम है। भविष्य में ये जीपीएस की जगह ले सकता है, लेकिन अभी इसकी टेस्टिंग और डेवलपमेंट चल रही है।

10. क्या ये सिस्टम आम लोगों के लिए होगा?

हां, इसे कार और ड्रोन जैसे आम वाहनों में इस्तेमाल के लिए डिज़ाइन किया गया है। लेकिन ये कब और कैसे उपलब्ध होगा, ये अभी साफ नहीं है।

डिस्क्लेमर :- ये जानकारी ऑस्ट्रेलिया की कंपनी Q-CTRL के रिसर्च और उपलब्ध डेटा के आधार पर दी गई है। Ironstone Opal अभी रिसर्च और डेवलपमेंट फेज में है, और इसके मार्केट में आने, कीमत, या परफॉर्मेंस की कोई गारंटी नहीं है। इस सिस्टम की सटीकता और फीचर्स रियल-वर्ल्ड टेस्टिंग के आधार पर बदल सकते हैं। इस लेख का मकसद सिर्फ जानकारी देना है, ना कि किसी प्रोडक्ट को प्रमोट करना। किसी भी तरह की गलतफहमी या नुकसान के लिए हम जिम्मेदार नहीं होंगे। ज्यादा जानकारी के लिए Q-CTRL की आधिकारिक वेबसाइट या रिसर्च पेपर देखें।

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