आजकल की भागदौड़ में सच्ची खुशी खो सी गई है , इसलिए Mindfulness ही इसका हल है। माइंडफुलनेस के अभ्यास से आप वर्तमान में जीना सीखेंगे और माइंडफुलनेस (Mindfulness) से खुशी का अनुभव करेंगे।
डैन हैरिस और 10% मूवमेंट –
डैन हैरिस, जो ‘10% मूवमेंट’ से जुड़े हैं, कहते हैं कि अगर हम 100% प्रयास कर रहे हैं, तो 10% खुशी भी काफी है। उन्होंने इस विषय पर एक बेस्टसेलर किताब लिखी है, जिसका नाम है ‘10% हैप्पीयर’। यह किताब माइंडफुलनेस के बारे में है और बताती है कि हम अपने दिमाग में चलने वाली अराजकता को कैसे नियंत्रित कर सकते हैं और खुद को बेहतर बना सकते हैं।

हैरिस का मानना है कि हम अनिश्चितता को झेलने के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं होते। इसके लिए हमें खुद को तैयार करना पड़ता है। मेडिटेशन और माइंडफुलनेस तकनीकें इस प्रक्रिया में बहुत मददगार होती हैं। अगर हम इन तकनीकों का इस्तेमाल नहीं करेंगे, तो एंग्जायटी और तनाव में डूब जाएंगे।
दिमाग की अंदरूनी बातचीत-
हमारे दिमाग में लगातार एक अंदरूनी बातचीत चलती रहती है। यह बातचीत हमारी कई समस्याओं की जड़ होती है। जब यह बातचीत अनियंत्रित हो जाती है, तो हमें तनाव से घेर लेती है। ध्यान और माइंडफुलनेस का मतलब है इस बातचीत को नियंत्रित करके अपने मन पर काबू पाना।

रिसर्च बताती हैं कि अगर आप माइंडफुल नहीं हैं, तो खुशी आपके पास अधिक देर नहीं टिकेगी। इसलिए बहाने न बनाएं और जहां भी मौका मिले, ध्यान करें। इसके लिए आपका किसी एकांत स्थल में होना जरूरी नहीं है। आप ऑफिस की कुर्सी पर, होटल के कमरे में, या एयरपोर्ट के लाउंज में भी मेडिटेशन कर सकते हैं।
Mindfulness के फायदे –
माइंडफुलनेस का अभ्यास करने से हमें कई फायदे मिलते हैं। यह हमें तनाव से दूर रखता है, हमारे मन को शांत करता है, और हमें खुश रहने में मदद करता है। यह हमारे दिमाग को साफ करता है और हमें बेहतर निर्णय लेने में सक्षम बनाता है।
Mindfulness का अभ्यास करने के लिए आपको किसी खास जगह या समय की जरूरत नहीं है। आप इसे कहीं भी और कभी भी कर सकते हैं। बस कुछ मिनटों के लिए अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करें और अपने दिमाग को शांत करें।
सकारात्मक संकल्प –
एक जरूरी सकारात्मक संकल्प यह है कि हम अपनी उम्र के हिसाब से एक हेल्थ-डायरी बनाएं। इसमें हेल्थ चेकअप के साथ जरूरी टेस्ट्स का शेड्यूल बनाएं और उनका पालन करने की भरसक कोशिश करें। अगर उम्र ज्यादा है, तो डायबिटीज, ब्लड प्रेशर आदि नियमित रूप से घर पर चेक करें और सारी रीडिंग, रिपोर्ट्स आदि का रिकॉर्ड डायरी में रखें।
वास्तव में बहुत सारी बीमारियां इसलिए गंभीर हो जाती हैं, क्योंकि हम अपनी हेल्थ को लेकर पर्याप्त गंभीर नहीं रहते। लेकिन अगर हम अपनी सेहत को बहुत गंभीरतापूर्वक नियमित मॉनिटर करें और उसके जरूरी ब्योरे लिखते रहें, तो अपने आपकी बहुत मदद करेंगे।
संकल्प लें कि अपना एक हेल्थ-जर्नल तुरंत बनाएं और उसे निरंतर अपडेट करते रहें।
माइंडफुलनेस का अभ्यास कैसे करें
माइंडफुलनेस का अभ्यास करने के लिए आपको किसी खास जगह या समय की जरूरत नहीं है। आप इसे कहीं भी और कभी भी कर सकते हैं। बस कुछ मिनटों के लिए अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करें और अपने दिमाग को शांत करें।

- सांसों पर ध्यान दें*: अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करें। सांस लेते और छोड़ते समय उसकी गति और गहराई पर ध्यान दें।
- वर्तमान में रहें*: अपने मन को वर्तमान में लाने की कोशिश करें। अगर आपका मन भटक रहा है, तो उसे वापस वर्तमान में लाएं।
- शरीर को स्कैन करें*: अपने शरीर के हर हिस्से पर ध्यान दें। कहीं कोई तनाव या दर्द है, तो उसे महसूस करें और उसे छोड़ने की कोशिश करें।
- भावनाओं को स्वीकार करें*: अपनी भावनाओं को स्वीकार करें। उन्हें दबाएं नहीं, बल्कि उन्हें महसूस करें और उन्हें जाने दें।
- दयालुता का अभ्यास करें*: अपने प्रति और दूसरों के प्रति दयालु बनें। दयालुता का अभ्यास करने से हमारा मन शांत और खुश रहता है।
हेल्थ-जर्नल क्यों जरूरी है –
हेल्थ-जर्नल बनाने से हम अपनी सेहत को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं। इसमें हम अपने हेल्थ चेकअप, टेस्ट्स, और दवाओं का रिकॉर्ड रख सकते हैं। इससे हमें यह पता चलता है कि हमारी सेहत कैसी है और कहां सुधार की जरूरत है।
हेल्थ-जर्नल बनाने के लिए आपको कुछ सरल कदम उठाने होंगे:
- शेड्यूल बनाएं*: अपने हेल्थ चेकअप और टेस्ट्स का शेड्यूल बनाएं।
- रिकॉर्ड रखें*: अपने हेल्थ चेकअप, टेस्ट्स, और दवाओं का रिकॉर्ड रखें।
- नियमित अपडेट करें*: अपने हेल्थ-जर्नल को नियमित रूप से अपडेट करें।
- डॉक्टर से सलाह लें*: अपने हेल्थ-जर्नल को डॉक्टर को दिखाएं और उनकी सलाह लें।
निष्कर्ष –
माइंडफुलनेस और हेल्थ-जर्नल दोनों ही हमारे जीवन को बेहतर बनाने के लिए जरूरी हैं। माइंडफुलनेस हमें तनाव से दूर रखता है और हमें खुश रहने में मदद करता है। वहीं, हेल्थ-जर्नल हमें अपनी सेहत को बेहतर ढंग से समझने और उसे मॉनिटर करने में मदद करता है।
इसलिए, आज ही संकल्प लें कि आप माइंडफुलनेस का अभ्यास करेंगे और अपना हेल्थ-जर्नल बनाएंगे। यह छोटे-छोटे कदम आपके जीवन में बड़ा बदलाव ला सकते हैं।
यह लेख आपको माइंडफुलनेस और हेल्थ-जर्नल के महत्व के बारे में जागरूक करने के लिए लिखा गया है। इन छोटे-छोटे कदमों से आप अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं और खुश रह सकते हैं।
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