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क्या आज की Digital World में हम सिर्फ डेटा बनकर रह गए हैं।

By: khabarme

On: शनिवार, मार्च 22, 2025 3:36 अपराह्न

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आज की Digital World में हम सिर्फ डेटा बनकर रह गए हैं। Have we become mere data in today’s digital world?

आधुनिक दुनिया में Digital Payments और डेटा संग्रहण का बढ़ता प्रभाव। एक व्यक्ति का अनुभव जो नकद भुगतान को प्राथमिकता देता है और डिजिटल लेनदेन के पीछे छिपे डेटा संग्रहण के मकसद को समझता है। जानिए कैसे डिजिटल भुगतान ने गरीबों को बचत करने में मदद की, लेकिन साथ ही यह हमारी निजता के लिए खतरा भी बन गया है।

क्या Digital दुनिया में हम सिर्फ डेटा हैं

आज की डिजिटल दुनिया में हम सिर्फ डेटा बनकर रह गए हैं। हमारी हर छोटी-बड़ी जानकारी कहीं न कहीं संग्रहित हो रही है, और इसका इस्तेमाल किसी न किसी मकसद से किया जा रहा है। यह बात मुझे तब समझ में आई जब मैं एक साधारण सी कॉफी खरीदने गया और वहां मुझे अपनी निजी जानकारी देने के लिए मजबूर किया गया।

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कॉफी शॉप का अनुभव

हमेशा की तरह इस गुरुवार की सुबह भी मैं अपनी दूधवाला पलाइट (सुबह की सैर) पर निकला। चूंकि मैं थोड़ा उनींदा महसूस कर रहा था, तो मैंने कॉफी पीने का मन बनाया। कॉफी शॉप की कतार में मेरे आगे तीन लोग खड़े थे। दो लोगों ने यूपीआई से भुगतान किया, और एक ने कार्ड से। फिर मेरी बारी आई। मैंने एक कप कॉफी का ऑर्डर दिया। कॉफी बनाने के लिए वह व्यक्ति चला गया क्योंकि मेरे पीछे कोई नहीं था।

जब कॉफी आई, तो मैंने उसे नकद पैसे दिए। पहले तो उसने नकद लेने में हिचकिचाहट दिखाई। काउंटर पर मौजूद व्यक्ति ने पूछा, “क्या आपके पास यूपीआई नहीं है?” मैंने जवाब दिया, “छोटी खरीदारी के लिए मैं हमेशा नकद पैसे देना पसंद करता हूं।” लेकिन वह मेरी बात से संतुष्ट नहीं था। उसने कहा, “कम से कम कार्ड से भुगतान कर दीजिए।”

इस बात से मेरे मन में शक पैदा हुआ कि कुछ तो गड़बड़ है। मैंने फिर कहा, “मैं बुजुर्ग आदमी हूं और मुझे कोई कार्ड नहीं देता। कृपया नकद ले लें।” तब उसने बेमन से अपनी बिलिंग मशीन को कैश के लिए सेट किया और मुझसे पूछा, “कृपया मुझे अपना बोर्डिंग पास दीजिए।”

क्या आज की Digital World में हम सिर्फ डेटा बनकर रह गए हैं।
क्या आज की Digital World में हम सिर्फ डेटा बनकर रह गए हैं।

यह सुनकर मुझे समझ में आया कि उसे किसी बात की परवाह नहीं थी, वह सिर्फ मेरी निजी जानकारी चाहता था। मैंने सख्त लहजे में पूछा, “भारत में कब से सिर्फ एक कप कॉफी खरीदने के लिए अपना नाम और पता देने की जरूरत पड़ने लगी? अगर कॉफी नहीं देना चाहते हो, तो कोई बात नहीं। लेकिन मैं अपनी कोई भी जानकारी देने से इंकार करता हूं। मैं जानता हूं कि तुम या तुम्हारे मालिक इस तरह जमा किए हर नाम या डेटा को मोटी रकम लेकर बेच देते हो।”

इससे वह थोड़ा नरम पड़ गया और मुझे बिल देकर कहा, “सर, हम भला क्यों आपकी जानकारी लेना चाहेंगे, यह तो एयरपोर्ट अथॉरिटी हैं जो जोर देते हैं कि हमें हर सेल से ज्यादा से ज्यादा यात्री जानकारी जुटाने की आवश्यकता है। इसलिए हम डिजिटल भुगतान पर जोर देते हैं, और हमें तो पता भी नहीं कि वे इस जानकारी का क्या करते हैं।”

डिजिटल भुगतान का दूसरा पहलू

आधुनिक दौर में डिजिटल भुगतान एक नए अवतार में आ चुका है। सालों पहले मैं डिजिटल लेनदेन का विकल्प भी रखता था, क्योंकि इससे गरीब लोग किसी मकसद से पैसे जमा कर सकते थे। एक बार मैंने पूर्वी दिल्ली के स्वास्थ्य विहार में मोहन चाट भंडार पर दो यूपीआई स्कैनिंग बोर्ड देखे। जब मैंने उससे पूछा कि वह दो यूपीआई बैंक डीटेल क्यों रखता है, तो उसने तपाक से जवाब दिया, “सर, बाएं हाथ वाले स्कैनर पर आने वाले पैसों को मैं इस्तेमाल नहीं करता।

वह पैसा मैं अपनी बहन की शादी के लिए जमा कर रहा हूं और यह तब तक चलता रहेगा, जब तक मेरी दोनों बहनों की शादी नहीं हो जाती। जबकि दाएं हाथ पर रखे स्कैनर पर आने वाले पैसों का इस्तेमाल में रोजमर्रा के खर्चों और बिजनेस में रोज लगने वाले सामान खरीदने के लिए करता हूं।”

उसकी बात सुनकर, मेरे साथ मौजूद मेरे मित्र ने उस यूपीआई पर बिल का भुगतान किया, जो उसने अपनी बहन की शादी के लिए खास रखा हुआ था। यह सुनकर मैं हिल गया क्योंकि कम से कम डिजिटल पेमेंट जैसी कोई एक चीज तो है, जिसने कमजोर आर्थिक वर्ग के लोगों को किसी उद्देश्य से बचत करने के लिए प्रेरित किया है।

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डिजिटल भुगतान और निजता का संघर्ष

हर छोटे से छोटे बिजनेस जैसे कि वह चाट भंडार वाला यूपीआई स्वीकार करते हैं, लेकिन जरूरी नहीं कि वो हमारी जानकारी बेच ही रहे हों। पर एयरपोर्ट पर होने वाले ऐसे अनुभव हमें डरा रहे हैं। यह अलग बहस का मुद्दा है कि ग्राहकों की हर छोटी से छोटी जानकारी जुटाना कितना नैतिक है या नहीं। तब तक हम ये याद रखें कि हम केवल डेटा हैं, जो कहीं न कहीं इस्तेमाल होने के लिए हैं।

फंडा यह है कि डिजिटल भुगतान ने हमारे जीवन को आसान बनाया है, लेकिन साथ ही यह हमारी निजता के लिए खतरा भी बन गया है। हमें इसका सही इस्तेमाल करना चाहिए और अपनी जानकारी को सुरक्षित रखने है।

FAQs –

1. डिजिटल भुगतान क्या है?

डिजिटल भुगतान एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें पैसे का लेनदेन इलेक्ट्रॉनिक तरीके से किया जाता है, जैसे यूपीआई, क्रेडिट/डेबिट कार्ड, या मोबाइल वॉलेट।

2. नकद भुगतान के क्या फायदे हैं?

नकद भुगतान से आपकी निजी जानकारी सुरक्षित रहती है और आपको डेटा संग्रहण के खतरे से बचाता है।

3. यूपीआई क्या है?

यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) एक डिजिटल भुगतान प्रणाली है जो बैंक खातों के बीच तत्काल पैसे ट्रांसफर करने की सुविधा प्रदान करती है।

4. डिजिटल भुगतान से निजता को कैसे खतरा होता है?

डिजिटल भुगतान के दौरान आपकी निजी जानकारी जैसे नाम, पता, और बैंक डिटेल्स संग्रहित की जा सकती है, जिसका दुरुपयोग हो सकता है।

5. क्या डिजिटल भुगतान गरीबों के लिए फायदेमंद है?

हां, डिजिटल भुगतान ने गरीबों को बचत करने और छोटे लेनदेन करने में मदद की है।

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