दोस्तों, क्या आपने कभी सोचा है कि इंसान ने ऐसा क्या बनाया जो सौरमंडल से भी आगे निकल गया? जी हां, हम बात कर रहे हैं Voyager 1 की, जो नासा का एक शानदार अंतरिक्ष यान है। ये वो पहला मानव निर्मित यान है, जो हमारे सौरमंडल को पार करके अंतरतारकीय अंतरिक्ष (इंटरस्टेलर स्पेस) तक पहुंचा। आइए, आसान और बोलचाल की भाषा में जानते हैं कि वोएजर 1 क्या है, ये खबरों में क्यों छाया है, और इसकी खासियतें क्या हैं!
Voyager 1: अंतरिक्ष में एक इतिहास रचने वाला यान
वोएजर 1 का जन्म और मिशन
वोएजर 1 को नासा ने सितंबर 1977 में लॉन्च किया था। इसका मकसद था हमारे सौरमंडल के बड़े-बड़े ग्रहों – बृहस्पति (जूपिटर), शनि (सैटर्न), अरुण (यूरेनस) और वरुण (नेपच्यून) – का अध्ययन करना। इसने इन ग्रहों की तस्वीरें खींचीं, उनके चंद्रमाओं और छल्लों की जानकारी दी, और हमें सौरमंडल के बारे में ढेर सारी नई-नई बातें बताईं। लेकिन इसकी सबसे बड़ी उपलब्धि ये है कि ये सौरमंडल की सीमा को पार करके अंतरतारकीय अंतरिक्ष में पहुंच गया। यानी, ये वो पहली मानव निर्मित चीज है, जो हमारे सौरमंडल से बाहर तारों के बीच की दुनिया में पहुंची!
आज वोएजर 1 पृथ्वी से करीब 25 अरब किलोमीटर दूर है। सोचिए, इतनी दूर से भी ये हमें मैसेज भेज रहा है! ये अपने आप में एक कमाल है, क्योंकि 1977 में बनी ये तकनीक आज भी काम कर रही है।
वोएजर 1: खबरों में क्यों छाया है?
अंतरिक्ष से आया संगीत
हाल ही में वोएजर 1 एक बार फिर सुर्खियों में आया, क्योंकि इसने अंतरिक्ष में 25 अरब किलोमीटर की दूरी से एक अनोखा “संगीत” पकड़ा। अब आप सोच रहे होंगे कि अंतरिक्ष में संगीत कहां से आया? दरअसल, ये कोई गाना-बजाना नहीं, बल्कि अंतरतारकीय अंतरिक्ष में प्लाज्मा वेव्स (इलेक्ट्रॉन की लहरें) से बनी ध्वनियां हैं। वोएजर 1 के उपकरणों ने इन तरंगों को रिकॉर्ड किया, और वैज्ञानिकों ने इन्हें एक तरह के “संगीत” की तरह समझा। ये खोज हमें अंतरतारकीय अंतरिक्ष की रहस्यमयी दुनिया को समझने में मदद कर रही है। इतनी दूर से सिग्नल भेजना और नई जानकारी देना Voyager 1 की ताकत को दिखाता है!

48 साल का सफर और ईंधन
वोएजर 1 की ताकत
वोएजर 1 को सितंबर 1977 में लॉन्च किया गया था, यानी ये 48 साल से अंतरिक्ष में सफर कर रहा है। हैरानी की बात ये है कि इसके उपकरण आज भी काम कर रहे हैं! इस यान में प्लूटोनियम-238 से चलने वाला एक खास पावर सोर्स (RTG – Radioisotope Thermoelectric Generator) है, जो बिजली बनाता है। नासा का कहना है कि इसकी ईंधन क्षमता 2025 तक अपने कुछ उपकरणों को चला सकती है। सोचिए, 48 साल पुराना यान इतनी दूर से हमें डेटा भेज रहा है – ये विज्ञान और इंजीनियरिंग का कमाल नहीं तो और क्या है?
हालांकि, समय के साथ इसकी बिजली धीरे-धीरे कम हो रही है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 2025 के बाद इसके कुछ उपकरण बंद हो सकते हैं, लेकिन वोएजर 1 फिर भी अंतरिक्ष में चुपचाप अपना सफर जारी रखेगा।
The Golden Record: वोएजर 1 का अनोखा तोहफा
वोएजर 1 अपने साथ एक खास चीज ले गया है – द गोल्डन रिकॉर्ड! ये एक सोने से बना फोनोग्राफ रिकॉर्ड है, जो पृथ्वी की कहानी को बयान करता है। इस रिकॉर्ड में 55 भाषाओं में अभिवादन (हाय, नमस्ते वगैरह), ज्वालामुखी की गड़गड़ाहट, रॉकेट लॉन्च की आवाज, हवाई जहाज, जानवरों की आवाजें (जैसे पक्षियों का चहचहाना, व्हेल की आवाज), और इंसानों की रोजमर्रा की ध्वनियां रिकॉर्ड की गई हैं। इसमें कुछ तस्वीरें और संगीत भी हैं, जो हमारी संस्कृति और प्रकृति को दिखाते हैं।
ये रिकॉर्ड इस उम्मीद के साथ भेजा गया कि शायद किसी दिन कोई एलियन सभ्यता इसे ढूंढ ले और पृथ्वी के बारे में जान सके। वोएजर 1 के जरिए ये गोल्डन रिकॉर्ड अंतरिक्ष में हमारी पहचान का प्रतीक बन गया है।
वोएजर 1: बेहद धीमा लेकिन कमाल का
पुरानी तकनीक, बड़ा काम
दोस्तों, वोएजर 1 की तकनीक आज के जमाने से बहुत पीछे है। इसके प्रोब की मेमोरी आपके मोबाइल फोन की तुलना में लगभग 30 लाख गुना कम है। यानी, आज का एक साधारण स्मार्टफोन इससे कहीं ज्यादा डेटा स्टोर कर सकता है! और इसकी डेटा भेजने की स्पीड? ये 5G इंटरनेट की तुलना में 38,000 गुना धीमी है। फिर भी, इतनी पुरानी और धीमी तकनीक के साथ वोएजर 1, 25 अरब किलोमीटर दूर से हमें मैसेज भेज रहा है।
इसकी स्पीड भले ही धीमी हो, लेकिन ये हर सेकंड 22.4 किलोमीटर की रफ्तार से अंतरिक्ष में आगे बढ़ रहा है। ये सिग्नल भेजने में 22 घंटे से ज्यादा लेता है, जो पृथ्वी तक पहुंचते हैं। फिर भी, वैज्ञानिक इसके डेटा को डीकोड करके अंतरिक्ष के रहस्य खोल रहे हैं।
दोस्तों, वॉयेजर1 सिर्फ एक अंतरिक्ष यान नहीं, बल्कि इंसान की जिज्ञासा और विज्ञान की ताकत का प्रतीक है। 1977 में लॉन्च हुआ ये यान बृहस्पति, शनि और सौरमंडल के बाकी ग्रहों की सैर कर चुका है और अब अंतरतारकीय अंतरिक्ष में हमारा दूत बन गया है।
25 अरब किलोमीटर दूर से “संगीत” पकड़ना, 48 साल तक चलना, और गोल्डन रिकॉर्ड के जरिए पृथ्वी की कहानी को अंतरिक्ष में ले जाना – वॉयेजर1 का ये सफर कमाल का है। भले ही इसकी तकनीक पुरानी हो, लेकिन ये हमें ब्रह्मांड के बारे में नई-नई बातें बता रहा है। 2025 तक इसके उपकरण चलेंगे, और उसके बाद भी ये चुपचाप अंतरिक्ष में हमारी मौजूदगी को दर्शाता रहेगा। तो चलिए, वॉयेजर1 के इस अनोखे सफर को सलाम करें!
*डिस्क्लेमर:- ये लेख सिर्फ जानकारी देने के लिए लिखा गया है और *वॉयेजर1* व नासा की जानकारी पर आधारित है। इसमें दी गई डिटेल्स समय-समय पर बदल सकती हैं। सटीक और ताजा जानकारी के लिए कृपया नासा की आधिकारिक वेबसाइट या संबंधित वैज्ञानिक स्रोतों से संपर्क करें। इस लेख को किसी कानूनी या आधिकारिक दस्तावेज की तरह इस्तेमाल न करें। इसका मकसद सिर्फ जागरूकता बढ़ाना है।






