2024 में बिकने वाली कारों में से 54% SUV थीं, भारत में मांग यूरोप से दोगुनी तेजी से बढ़ी.
दुनिया भर में SUV (स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल) की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है। यह ट्रेंड तब देखा जा रहा है, जब संयुक्त राष्ट्र और अन्य संगठन जलवायु परिवर्तन और बढ़ती जीवनयापन लागत के मद्देनजर छोटे और पर्यावरण के अनुकूल वाहनों की वकालत कर रहे हैं। 2024 में दुनिया भर में बिकने वाली कारों में से 54% एसयूवी थीं, जो 2023 के मुकाबले 3% और 2022 के मुकाबले 5% की वृद्धि दर्शाता है। भारत जैसे उभरते बाजारों में एसयूवी की मांग यूरोप की तुलना में दोगुनी तेजी से बढ़ रही है।
SUV की बढ़ती लोकप्रियता के कारण
- उपभोक्ताओं की बढ़ती क्रय क्षमता: तेजी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं में लोगों की आय में वृद्धि हुई है, जिससे एसयूवी जैसे बड़े और आरामदायक वाहनों की मांग बढ़ी है।
- बेहतर ड्राइविंग अनुभव: एसयूवी में जमीन से अधिक ग्राउंड क्लियरेंस और ऊंची ड्राइविंग सीट होती है, जो ड्राइवर को सड़क का बेहतर नजारा और आत्मविश्वास देती है।
- निर्माताओं का फोकस: कार निर्माता एसयूवी से अधिक मुनाफा कमा रहे हैं, इसलिए वे इन वाहनों के उत्पादन और मार्केटिंग पर जोर दे रहे हैं।
एसयूवी का Environment पर प्रभाव
एसयूवी (SUV) Car के बढ़ते उपयोग ने पर्यावरणविदों की चिंताओं को बढ़ा दिया है। ग्रीनपीस और एक्सटिंक्शन रिबेलियन जैसे संगठनों का कहना है कि एसयूवी के बड़े आकार और अधिक ईंधन खपत के कारण ये जलवायु संकट को बढ़ावा दे रहे हैं। इंटरनेशनल काउंसिल ऑन क्लीन ट्रांसपोर्टेशन के अनुसार, एसयूवी के निर्माण में अधिक संसाधनों की खपत होती है और ये सड़कों पर अधिक जगह घेरती हैं।

भारत में एसयूवी की मांग
भारत में 2024 में एसयूवी की बिक्री में 14% की वृद्धि देखी गई। यह वृद्धि दर यूरोप की तुलना में लगभग दोगुनी है। भारतीय उपभोक्ताओं को एसयूवी की भारी-भरकम बनावट, अधिक जगह और बेहतर ड्राइविंग अनुभव पसंद आ रहा है।
वैश्विक बाजार में एसयूवी की स्थिति
2024 में चीन में सबसे अधिक 11.6 मिलियन एसयूवी बिकीं। अमेरिका, भारत और जर्मनी भी एसयूवी बिक्री के मामले में शीर्ष पर रहे। हालांकि, जापान और जर्मनी जैसे बाजारों में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की बिक्री में कमी आई है।
एसयूवी की बढ़ती लोकप्रियता ने पर्यावरणीय चिंताओं को बढ़ा दिया है। हालांकि, उपभोक्ताओं की पसंद और निर्माताओं के मुनाफे के चलते एसयूवी का ट्रेंड जारी रहने की उम्मीद है। भारत जैसे उभरते बाजारों में इसकी मांग और तेजी से बढ़ सकती है।






