95 साल की उम्र में भी बिना चश्मे के जीवन जीने वाले राजेंद्र लाल अग्रवाल और 75 साल की उम्र में भी समाज सेवा में लगी कंचन मां की प्रेरणादायक कहानी। इनके जीवन के सबक आपको भी खुशहाल और सक्रिय जीवन जीने की प्रेरणा देंगे।
जिंदगी(Life) के अनमोल सबक: बुढ़ापे को खुशी से जीने का तरीका
जिंदगी को खुशहाल और सक्रिय बनाए रखने के लिए उम्र कोई बाधा नहीं है। यह बात साबित करते हैं राजेंद्र लाल अग्रवाल और कंचन मां, जो अपनी उम्र के आखिरी पड़ाव में भी पूरी ऊर्जा और जोश के साथ जीवन जी रहे हैं। इनकी जिंदगी से हमें कई ऐसे सबक मिलते हैं, जो हमें खुशहाल और संतुष्ट जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं। आइए, इनकी जिंदगी के कुछ अनमोल पलों और सीखों के बारे में जानते हैं।
कमल राज ढिंढोरे : 95 साल की उम्र में भी बिना चश्मे के जीवन जीने का राज
कमल राज ढिंढोरे, जो अब 95 साल के हो चुके हैं, आज भी बिना चश्मे के अपने सभी काम खुद करते हैं। उनकी जिंदगी एक खुली किताब की तरह है, जिसमें अनुशासन, सक्रियता और सीखने की ललक साफ झलकती है।

उनकी दिनचर्या:*
- सुबह 5:30 बजे उठना।
- दो घंटे योग करना।
- भोजन के बीच में तीन घंटे का अंतराल रखना।
- भोजन के एक घंटे बाद बैठकर पानी पीना।
जीवन के सबक:–
- अनुशासन(Discipline): कमल राज ढिंढोरे का मानना है कि अनुशासन ही उनकी सेहत और सक्रियता का राज है। वे हर दिन एक निश्चित समय पर उठते हैं और योग करते हैं।
- सीखने की ललक: इंजीनियर होने के बावजूद उन्होंने कभी सीखना बंद नहीं किया। उन्होंने 9 साल में 9 किताबें लिखीं, जिनमें से उनकी आखिरी किताब ‘हंसो और हंसाओ’ है। अब वे अपनी आत्मकथा ‘नई पुरानी यादें’ लिख रहे हैं।
- खाली न बैठना: उनका कहना है कि खाली बैठने से बुढ़ापा जल्दी आता है। अगर आप सक्रिय रहेंगे, तो बुढ़ापा खुशी के साथ निकल जाएगा।
उनकी सीख:*
- जिंदगी में कभी खाली न बैठें।
- अपनी रुचियों को समय दें।
- अनुशासन और नियमितता को अपनाएं।
सरोजनी मां: 75 साल की उम्र में भी समाज सेवा में लगी रहना
सरोजनी मां, जो अब 75 साल की हो चुकी हैं, आज भी समाज सेवा में पूरी तरह से सक्रिय हैं। उन्होंने अब तक 300 से ज्यादा बच्चों को निःशुल्क पढ़ाया है और समाज के निम्न वर्ग को सशक्त बनाने का काम कर रही हैं।

उनकी Routine:*
- हर दिन घर से बाहर निकलकर जरूरतमंदों की मदद करना।
- बच्चों को पढ़ाना और उन्हें प्रेरित करना।
- समाज के निम्न वर्ग को संगठित करना।
जीवन के सबक:*
दूसरों की मदद करने से खुशी मिलती है।
- हमेशा सक्रिय रहें और अपने जीवन में एक उद्देश्य बनाए रखें।
- समाज से जुड़े रहें और दूसरों को प्रेरित करें।
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इन दोनों की जिंदगी से सीखने योग्य बातें
- अनुशासन और नियमितता: दोनों ही व्यक्ति अपनी दिनचर्या को अनुशासन के साथ निभाते हैं, जो उनकी सेहत और सक्रियता का राज है।
- सीखने की ललक: राजेंद्र लाल अग्रवाल ने 95 साल की उम्र में भी सीखना नहीं छोड़ा और कंचन मां ने समाज सेवा के जरिए नई चीजें सीखीं।
- दूसरों की मदद: दोनों ही व्यक्ति दूसरों की मदद करने में विश्वास रखते हैं, जो उन्हें खुशी और संतुष्टि देता है।
- सक्रिय रहना: दोनों ही व्यक्ति हमेशा सक्रिय रहते हैं, जिससे उन्हें बुढ़ापे का अहसास भी नहीं होता।
कमल राज ढिंढोरे और सरोजनी मां की जिंदगी हमें यह सिखाती है कि उम्र सिर्फ एक संख्या है। अगर हम अनुशासन, सक्रियता और दूसरों की मदद करने की भावना को अपनाएं, तो हम बुढ़ापे को भी खुशी और ऊर्जा के साथ जी सकते हैं। इनकी जिंदगी के ये सबक न सिर्फ हमें प्रेरित करते हैं, बल्कि हमें एक बेहतर इंसान बनने की राह भी दिखाते हैं।






